Friday, May 23, 2008

बदलते मौसमों को क्या रोकेगी सरहद

काग़ज़ पर खींची वो एक लकीर है बस



ना पूछेंगे हम कुरान-औ-गीता से रास्ता

अपना नाखुदा तो यह ज़मीर है बस



तेरी तारीफ में इतनी सी क्या है बस

तू मेरे हर एक ख्वाब की taabeer है बस



नाराजगी का hak तो हम भी रखते है

रूठ जाना क्या हुस्न की जागीर है बस

Monday, December 31, 2007

naya saal aaya

भाई २००८ आ ही गया । कुछ सामान्य तौर पर पूछे जाने वाले सवाल -



-> साल के कौन से महीने में सारी worry गायब हो जाती हैं ?

जा-worry



-> साल के कौन से महीने में जानवरों को अपनी skin की tension हो जाती है ?

fur-worry



-> साल का कौनसा महीना सैनिक भी है ?

अप्रैल, क्युंकी उसे मार्च करना पड़ता है .



-> साल का कौनसा महीना एक ऋषि है ?

अगस्त्य



-> कौन से महीने में कोई किसी पर सितम नही करता ?

सितम-बर



-> कौन से महीने में सब से ज्यादा पान

खाए जाते हैं ?

Saturday, June 16, 2007

Just Shut up and Dance

झूम बराबर झूम

अकसर ऐसा होता है कि हमारा खुद में विशवास कम हो जाता हैदफ्तर में बॉस के फिकरे , या फिर सहकर्मियों की खतरनाक योजनायें - सब कुछ आपको पीछे खींचता हुआ सा लगता हैआपको लगता है कि इस से बुरा कुछ हो ही नही सकतालेकिन आप भूल जाते है कि ऊपर वह सब देख रह है - एक दोहा अर्ज़ है
अपने नाम को भूल जा , राम में में को लिए मना
बाकी सब कुछ वह करे, तू काहे को तना

इसका मतलब है -कि वह सब देख रहा हैअगर आपको लगता है कि आपके हालात से बुरा कुछ हो नही सकता तो आप भगवान् पर विश्वास रखें - उसने आदित्य और शाद कि जोडी बनाई है - और इस जोडी ने बनायी है "झूम बराबर झूम" - जिससे बुरा कुछ नही हो सकता आपका बॉस भी इस से अच्छा होगा

एक लघु कथा को उपन्यास बनाने की यह कोशिश एक नाकाम कोशिश से ज़्यादा कुछ नही है। फिल्म में गानों की संख्या तो कम है - लेकिन एक एक गाना दफ्तर की प्रबंधन प्रशिक्षण जैसा है -
  • जो बार बार एक ही बात कहते हैं
  • जिसमे बहुत नींद आती है
  • जो ख़त्म होने का नाम ही नही लेते
  • सिर्फ शिक्षक ख़ूबसूरत होते हैं

फिल्म का पहला भाग बेहद ढीला और नीरस हैकॉमेडी है , लेकिन एक हलकी सी मुस्कान से ज़्यादा कुछ नही ला पातीजब इंटरवल होता है तो एक खोये से एहसास के साथ दर्शक जागता है कि "यार कहानी तो बड़ी ही नही !" इंटरवल के एकदम बाद निर्देशक एक और मोड़ लेटा है - और नीरस होने के लिए - "बोल हलके हलके" गाने के साथआप सोचते होंगे कि यह गाना तो हमने टीवी पर नही देखायह गाना टीवी पर इसलिये नही दिखाया जाता क्योंकि जिस जिस ने यह गाना देखा वह कभी यह फिल्म देखने कि हिम्मत नही कर सकताबिना सर पैर के इस गाने में एक ही बात अच्छी है कि यह दिल्ली में फिल्माया जाया है - बस

इतना कहने के बाद भी कुछ चीज़ें हैं जो झुट्लायी नही जा सकतीं , जिनमें से एक है बेह्तेरीन अदाकारीअभिषेक , लारा और बोबी की अदाकारी का जवाब नही हैबल्कि बोबी भी अची अदाकारी दिखा दृश्य में जान दाल सकते हैं - यह जान कर आपको जितना आश्चर्य हो रहा है , उससे ज़्यादा मुझे देख कर हुआ थाप्रीती ठीक लगी है - पर उनकी अदाकारी में बदलाव की ज़रूरत है - हर फिल्म में एक जैसी अदाकारी अब ज़्यादा दिनों तक नही चलेगी

अब बात फिल्म के नाम की - बात झूमने कीतीन चौथायी फिल्म बिना झूमे ही निकल जाती है - लेकिन फिर आता है साऊथ हॉल डान्स प्रतियोगिता का sequenceइसके लिए "गज़ब" से नीचे कोई शब्द नही हैअभिषेक, लारा , प्रीती और बोबी के खतरनाक नृत्य ने इसमें जान डाल दीं है - इतनी जान कि एक पल के लिए लगता है कि पैसे वसूल हो गएफिर याद आता है कि हम तो multiplex में फिल्म देख रहे है - और कुछ घाटा तो हुआ है

और हाँ , इसमें अमिताभ बच्चन भी है - सिर्फ बैंड बजाने के लिए । पूरी फिल्म में उनके पास एक ही dialogue है - "Mindblowing" । जी अमिताभ जी, हमारे दिमाग का भी fuse उड़ गया , यह फिल्म देख कर।

सब मिला कर एक जानदार अदाकारी से भरी एक बेजान कहानी का नाम है - "झूम बराबर झूम" ।

तो देखें या ना देखें ?
ज़रूर देखें - पर डीवीडी पर (ओरिजनल देखना , पायरेटेड नही ), या फिर महीने में टीवी पर, या दफ्तर की पार्टियों परअपनी जेब के पैसे संभाल कर रखें

अमित

The same blog is available in English here.


Thursday, June 14, 2007

I think its time to go

लफ़्ज़ों की अब कमी है चल घर अब चलें
कुछ रात यह घनी है , चल घर अब चलें

दम घुटता है बाहर का यह खुलापन देख
अपना ही घर है अच्छा अन्दर अब चलें

लूं एक जाम और यह मेरे बस में नहीं
माना नशा कुछ कम है मगर अब चलें

नज़रों को अपनी ज़रा काबू तो कीजिये
यहाँ पर उधर चलें वहां पर इधर चलें

ईद-ओ-दीवाली पर तुझे मैं क्या दूं
मिठाइयों से ज़्यादा आजकल ज़हर चलें

थक के रुके को कभी हारा ना समझना
मैं चलूँ वहाँ तक जहाँ तक सफ़र चलें


-अमित

Do you see ई की मात्रा incorrectly ? Go here on how to use Indic fonts on your system - http://en.wikipedia.org/wiki/Wikipedia:Enabling_complex_text_support_for_Indic_scripts

Saturday, June 9, 2007

मेरा पहला पहला पोस्ट


हिंदी में यह मेरा पहला पहला पोस्ट है |
यह एक बेहतरीन तरीका है इन्टरनेट पर अपनी भाषा में अपनी बात पहुंचाने के लिए |
इसी बात पर एक दोहा अर्ज़ है -

तेरी बोली बोल बोल , रोटी ली कमाये
अपनी बोली भूल कर , नमक दिया गवाये

मैं इस ब्लोग पर यूँ ही लिखता रहूँगा

अगली बार तक - नमस्कार

- अमित